राम की शक्ति पूजा की मूल संवेदना

राम की शक्ति पूजा की मूल संवेदना | Hindi Stack

‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ आधुनिक हिंदी काव्य के प्रमुख स्तंभ है। राम की शक्ति पूजा निराला की श्रेष्ठ कृति है। छायावाद के प्रमुख कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते है और छायावाद आधुनिक काव्य का स्वर्ण शिखर है। “राम की शक्ति पूजा” आधुनिक हिंदी कविता की उपलब्धि का मानदंड है। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला कृत ‘राम की शक्ति पूजा’ लम्बी कविता 23 अक्टूबर 1936 के ‘भारत’ (दैनिक इलाहाबाद) में प्रकाशित हुई। कविता कथात्मक ढ़ग से शुरू होती है और इसमें नाटकीय घटनाओं का वियान्स इस ढ़ग से किया है कि वे बहुत ही नाटकीय हो गई है। वर्णन इतना सजीव है कि लगता है, आँखों के सामने कोई त्रासदी प्रस्तुत की जा रही है।

‘राम की शक्ति-पूजा’ निराला जी की कालजयी रचना है। इस कविता का कथानक तो प्राचीन काल से सर्वविख्यात रामकथा के एक अंश से है, किन्तु निराला जी ने इस अंश को नए शिल्प में ढाला है और तात्कालिक नवीन संदर्भों से उसका मूल्यांकन किया है।

‘राम की शक्ति पूजा’ निराला की ही नहीं संपूर्ण छायावादी काव्य की एक उत्कृष्ट उपलब्धि है यह मूलत: अग्यान एंव अन्याय के विरूद्व विजय की कविता है। इसमें कवि ने एक ऐतिहासिक प्रंसग के द्वारा धर्म और अधर्म के शाश्वत संघर्ष का चित्रण किया है। राम धर्म का प्रतीक है और रावण अधर्म का।इस कविता में अधर्म का चित्रण एक प्रचड़ शक्ति के रूप में हुआ है, जिसके सामने एक बार तो राम का साहस भी कुंठित होने लगता है। यह स्थिति एक ओर तो कवि के व्यक्तिगत जीवन के भयानक संघर्ष से संबद्ध हो जाती है और दूसरी ओर युगीन यथार्थ की विरालता को भी व्यंजित करती है। डॉ॰ रामविलास शर्मा के अनुसार

“राम की शक्तिपूजा’ का संगठन पाश्चात्य महाकाव्यों के ढंग पर हुआ है, प्राच्यो के ढंग पर नहीं। यह एक लम्बी कविता है। यह कविता पात्रो के चारित्रिक औदात्य, भाषा के ओजपूर्ण प्रवाह एवं संतुलित छंद निर्माण के लिहाज से महाकाव्यात्मक महत्व रखती है।”

‘राम की शक्ति पूजा’ का मुख्य कथानक कृतिवास की बंग्ला रामायण से लिया गया है।‘शक्तिपूजा’ में ‘शक्ति संधान’ की रचनात्मक व्याख्या है और इसका मूलसूत्र जाम्बवान के परामर्श में है। रचना प्रक्रिया और भावबोध के स्तर पर यह कविता आचार्य शुक्ल द्वारा प्रतिपादित ‘लोकमंगल की साधना’ की कृति है। इस कविता में जहाँ एक ओर यथार्थ से जूझते हुए मानव का अंतद्वर्द है, तो दूसरी ओर एक सांस्कृतिक सामाजिक प्रक्रिया है। एक पौराणिक प्रसंग के माध्यम से यह कविता अपने युग को उजागर करती है। किंतु कृतिवास और राम की शक्ति पूजा में पर्याप्त भेद है पहला तो यह की एक ओर जहाँ कृतिवास की कथा पौराणिकता से युक्त होकर अर्थ की भूमि पर सपाटता रखती है तो वही दूसरी ओर राम की शक्ति पूजा नामक में कथा आधुनिकता से युक्त होकर अर्थ की कई भूमियों को स्पर्श करती है।इसके साथ ही कवि निराला ने इसमें युगीन-चेतना व आत्मसंघर्ष का मनोवैज्ञानिक धरातल पर बड़ा ही प्रभावशाली चित्र प्रस्तुत किया है।

इस कविता और रामचरितमानस में व्यक्त राम के मनोभावों में अथाह अंतर देखने को मिलता है। एक तरफ जहाँ रामचरितमानस में राम भले ही कुछ घटनाओं पर शोकग्रस्त और व्याकुल हुए लेकिन भयभीत कहीं नहीं। वहीं इस कविता में उनके टूटते मनोबल को दर्शाया गया है।

“स्थिर राघवेंद्र को हिला रहा फिर-फिर संशय रह-रह उठता जग जीवन में रावण-जय-भय”(1)

जैसे संघर्ष के मध्य उत्साह बढ़ाने के लिए एक मधुर स्वप्न पर्याप्त होता है, वैसे ही गिरते मनोबल के बीच राम के समक्ष सीता से प्रथम मिलन का दृश्य उभरकर आ जाता है जहाँ विदेह (मिथिला) के उस उपवन में उन दोनों के नयनों के बीच गुप्त संवाद हुआ था। यह उनके शरीर में एक नई ऊर्जा और हृदय में विश्व विजय का भाव भर देता है।
लेकिन थोड़ी ही देर में उन्हें पुनः युद्ध दृश्य स्मरण हो आता है जहाँ उनकी सेना की दुर्गति हुई है। रावण के अट्टहास की उनके कानों में गूंजती ध्वनि उनकी आँखों से अश्रु के रूप में फूट पड़ती है। युद्ध की निराशा के अलावा शक्ति पूजा से पहले और अंत के समीप भी राम निराश दिखते हैं। जहाँ पहली निराशा मात्र घटनाओं से है, वहीं दूसरी निराशा स्वयं शक्ति और तीसरी निराशा स्वयं के जीवन से है। शक्ति पूजा से पूर्व राम देवी के विधान से निराश हैं। उनकी निराशा इस बात से है कि अधर्मी होने के बावजूद वे रावण का साथ क्यों दे रही हैं। वे अपनी व्यथा बताते हुए कहते हैं कि शक्ति के प्रभाव के कारण उनकी सेना निष्फल हुई और स्वयं उनके हस्त भी शक्ति की एक दृष्टि के कारण बाण चलाते-चलाते रुक गए थे। शक्ति और रावण की इस संधि का निराला बड़ा सुंदर वर्णन करते हैं-

“देखा हैं महाशक्ति रावण को लिये अंक, लांछन को ले जैसे शशांक नभ में अशंक”(2)

अत: कह सकते है कि राम की शक्ति पूजा का कथ्य यही है कि मनुष्य निरंतर निष्ठापूर्वक संघर्ष करें ,तपस्या करें तो वह अपनी नियति को बदल सकता है।अपनी हार को जीत में परिवर्तित कर सकता है।जहाँ अधन्कार है, वहीं प्रकाश भी है, :-

“हे अमनिशा: उगलता गगन घन अन्धकार खो रहा दिशा का ग्यान: स्तब्ध है पवन चार”(3)

निराला कविता में मानवीय मूल्यों को रेखांकित करते हैं।यह कविता मनुष्य की दुर्बलताओं और शक्ति की द्वन्द्व कथा है जिसे निराला ने नाटकीय स्थितियों एंव क्रिया व्यापारों में विकसित किया है।

निष्कर्ष:

”राम की शक्तिपूजा” अपने पूरे कलात्मक सौंदर्य के साथ अपने युग के सामाजिक सत्य से जुड़ती हुई एक सार्वभौमिक प्रक्रिया का बयान करती है जिसे असत्य के ऊपर सत्य की विजय के लिए हर बार अपनाना पड़ेगा। ‘राम की शक्ति-पूजा’ में निराला ने अपनी मौलिक क्षमता का समावेश किया है। इसमें कवि ने पौराणिक प्रसंग के द्वारा धर्म और अधर्म के शाश्वत संघर्ष का चित्रण आधुनिक परिवेश की परिस्थितियों से संबंद्ध होकर किया है।

संदर्भ ग्रंथ सूची:

  1. राम की शक्ति पूजा – निराला की कविता से उद्धृत
  2. वहीं
  3. राम की शक्ति पूजा निराला की कालजयी कृति- डाँ नागेन्द्र, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दरियागंज दिल्ली, चौथा प्रकाशन 2012

0 users like this article.

अगर आपके प्रश्नों का उत्तर यहाँ नहीं है तो आप इस बटन पर क्लिक करके अपना प्रश्न पूछ सकते हैं

Follow Hindistack.com on Google News to receive the latest news about Hindi Exam, UPSC, UGC Net Hindi, Hindi Notes and Hindi solve paper etc.

One Response

Related Articles

मुक्तिधन प्रेमचंद की कहानी | Muktidhan Kahani by Munshi Premchand

मुक्तिधन प्रेमचंद की कहानी | Muktid...

गृह दाह प्रेमचंद की कहानी | Griha Daah Kahani by Munshi Premchand

गृह दाह प्रेमचंद की कहानी | Griha D...

परीक्षा प्रेमचंद की कहानी | Pariksha Kahani by Munshi Premchand

परीक्षा प्रेमचंद की कहानी | Pariksh...

Mantra Kahani by Munshi Premchand

मंत्र प्रेमचंद की कहानी | Mantra Ka...

ईदगाह कहानी का सारांश | premchand ki idgah class 11 hindi summary

ईदगाह कहानी का सारांश

Maati Waali Chapter 4 Hindi Book Kritika - Bhag 1 NCERT Solutions for Class 9

माटी वाली के प्रश्न उत्तर | Maati W...

No more posts to show

Check Today's Live 🟡
Gold Rate in India

Get accurate, live gold prices instantly
See Rates

Popular Posts

नाटक और एकांकी में अंतर | Differences Between Natak and Ekanki

नाटक और एकांकी में अंतर | Diff...

नागार्जुन की अकाल और उसके बाद कविता की मूल संवेदना | Akal Aur Uske Baad Kavita ki Mool Samvedna Hindistack

अकाल और उसके बाद कविता की मूल ...

अकाल और उसके बाद कविता की व्याख्या | Akal Aur Uske Baad Kavita ki Vyakhya | Hindistack

अकाल और उसके बाद कविता की व्या...

गीतिकाव्य के आधार पर विद्यापति के गीतों का मूल्यांकन

गीतिकाव्य के प्रमुख तत्वों के ...

आत्मकथा की विशेषताएँ | Characteristics of Autobiography

आत्मकथा की विशेषताएँ | Charact...

आत्मनिर्भरता निबंध में 'बाल-विवाह' की समस्या

आत्मनिर्भरता निबंध में बाल-विव...

Latest Posts

1
नाटक और एकांकी में अंतर | Differences Between Natak and Ekanki
2
अकाल और उसके बाद कविता की मूल संवेदना
3
अकाल और उसके बाद कविता की व्याख्या
4
गीतिकाव्य के प्रमुख तत्वों के आधार पर विद्यापति के गीतों का मूल्यांकन
5
आत्मकथा की विशेषताएँ | Characteristics of Autobiography in Hindi
6
आत्मनिर्भरता निबंध में बाल-विवाह की समस्या

Tags

हिंदी साहित्य
Hindi sahitya
कहानी
अनुवाद
Anuvad
Anuwad
Translation
Kahani
आदिकाल
Aadikal
उपन्यास
Rimjhim Hindi book
व्याकरण
Rimjhim Hindi Pdf
Nagarjun
NCERT
भक्तिकाल
Aadhunik kaal
Class 9
रिमझिम फ्री डाउनलोड PDF