भक्तिकाल हिंदी साहित्य का सामाजिक, राजनितिक, धार्मिक, व आर्थिक दृश्टि से बड़ा ही उथल-पुथल का काल है। यह काल प्रमुख रूप से भक्ति भावना से ओतप्रोत है। इस पृष्ठ पर भक्तिकाल का सम्पूर्ण परिचय, नामकरण, विशेषताएँ, प्रमुख प्रवृत्तियाँ, और कवियों व लेखकों के योगदान की सभी जानकारी दी गई है। साथ ही यहाँ पर भक्तिकाल के दोनो प्रमुख धाराओं जैसे सगुण भक्ति धारा और निर्गुण भक्ति धारा के प्रमुख कवि तुलसीदास, सूरदास, कुंदन दास, कृष्णदास, मीरा, रसखान, रहीम, कबीर, नानक, दादू दयाल, रैदास, मलूकदास आदि कवियों व साहित्यकारों के साहित्यिक योगदान और रचनाओं की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई गई है। यह सामग्री Hindi TGT, PGT, UGC NET, JRF और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी है, जिसके माध्यम से आप हिंदी साहित्य का गहन अध्ययन और बेहतर समझ प्राप्त कर सकते हैं।
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