सूफी काव्य की विशेषताएँ

सूफी काव्य की महत्वपूर्ण विशेषताएँ | Hindi Sahitya

हिंदी साहित्य की निर्गुण भक्ति काव्य धारा की दूसरी शाखा उन सूफी कवियों की है जिन्होंने प्रेम गाथाओं के द्वारा एक ऐसे ‘प्रेम’ के तत्व का वर्णन किया जो ईश्वर से मिलाने वाला है। यह प्रेम लोक से अलौकिक प्रेम की ओर उन्मुख होता है। इसमें साधक, बाह्य संसार को भूल कर अपने प्रियतम के रूप में खो जाता है और उसे पाने के लिए नाना प्रकार के प्रयत्न करता है। सूफी काव्य भावपक्ष एवं कलापक्ष, दोनों ही दृष्टियों से अत्यंत सबल है। सूफी काव्य से जुड़े कवियों ने सूफी मत के प्रचार-प्रसार के लिए हिन्दू घरों में प्रचलित प्रेम-कहानियों को अपना काव्य-विषय बनाया। सूफ़ी कवि अपनी साहित्यिक साधना से लोकरंजन और लोकमंगल की आवश्यकता की एक साथ पूर्ति करते हैं। इसी कारण उनका साहित्यिक महत्व संत काव्य से भी अधिक माना गया है। इसी साहित्यिक महत्व के आधार पर आज हम सूफी काव्य की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं को लिपिब्ध करने का प्रयास कर रहे हैं:

(1) प्रेम का महत्व: सूफी काव्य की सर्वप्रथम विशेषता उनमें प्रेम का उद्याम वेग है। प्रेमाख्यान काव्यों के नायक, नायिका को प्राप्त करने के लिए सभी बाधाओं को पार कर जाते हैं। साधनात्मक दृष्टि से भी सूफी-काव्य में वैराग्य की अपेक्षा प्रेम का महत्व अधिक है। लौकिक प्रेम (इश्क़-मिजाजी) से अलौकिक प्रेम (इश्क-हकीकी) की ओर अग्रसर होने का वर्णन इन सूफी-काव्यों की प्रेम-भावना पर देशी एवं विदेशी दोनों ही प्रभाव हैं। सूफी काव्य की विशेषता यह है कि साधक स्वयं को प्रेमी तथा परमात्मा को प्रियतमा समझता है।

(2) विरह-भावना का आधिक्य: सूफी काव्यों का प्रेम विरह-प्रधान है। प्रेमी साधक परमात्मा के वियोग में तड़पता है। भारतीय निर्गुण काव्य-साधकों के अनुरूप ही सूफी कवि भी आत्मा की परमात्मा के प्रति मिलनोकण्ठा का वर्णन करते हैं । जायसी के ‘पद्मावत’ से एक वर्णन देखिए  –

यह तन जारौं छार कै, कहौं की ‘पवन उड़ाव’।
मकु तेही मारग उड़ि परै, कत धरै जहाँ पाव ।।

(3) इतिहास एवं कल्पना का समन्वय: सूफी काव्य या प्रेमाख्यान परंपरा का प्रारंभ ‘व्रहत्कथा’ एवं ‘कथासरित्सागर’ से हुआ। पुराणों तथा इतिहास के पात्रों से युक्त यह प्रेमाख्यान मूल रूप से ऐतिहासिक नहीं हैं। इतिहास के साथ इनमें कल्पना का भी मनोहर सामंजस्य है।

(4) गुरु का महत्व: निर्गुण काव्य-धारा के कबीर एवं अन्य कवियों की भांति सूफी कवि भी गुरु के सर्वोपरि तथा ईश्वर-प्राप्ति का साधन मानते हैं। जायसी गुरु को मार्गदर्शक स्वीकार करते हुए कहते हैं –

गुरू सुवा जेहि पंथ देखावा।
बिन गुरु जगत को निरगुन पावा ।।

सूफी साधक गुरु के निर्देश से प्राप्त सात्विक ज्ञान के प्रकाश में मोक्ष के पथ को पाता है अन्यत्र जायसी लिखते हैं-

सैयद अशरफ पीर पियारा, जेहि मोहि पन्थ दीन्ह उजियारा।
लेसा हिए प्रेम कर दीया, उठी जोति भा निरमल हीया।।

(5) रहस्यवाद: भारतीय एवं सूफी मत में अनेक समताएँ हैं। निर्गुण भक्तिधारा के कबीर का काव्य रहस्यवाद का पोषक है। सूफी कवि जायसी के काव्य में भी रहस्यवाद का रमणीय रूप प्राप्त होता है। सूफी कवि अपने प्रियतम को प्रकृति के विभिन्न रूप मे देखते हैं । सूफी रहस्यवाद की विशेषता यही है कि इसमें संत-कवियों की रहस्य-भावना जैसी शुष्कता एवं निरसता नहीं हैं। सूफी-कवि वेदांत-दर्शन की भाँति जगत को मिथ्या भी नहीं मानते। वह तो प्रेम – गाथाओं में अव्यक्त सत्ता को व्यक्त करते हैं ।

(6) शैतान की कल्पना:  शैतान की अवधारणा सूफी-कवियों की मौलिक देन है। यह शैतान भारतीय दर्शन की ‘माया’ ही है जो आत्मा-परमात्मा के मिलन में अवरोध उत्पन्न करती है। सूफी-काव्य का शैतान भी खुदा एवं बंदे के मिलन में सबसे बड़ी बाधा है।

(7) प्रबंध-कल्पना:  इस परंपरा के काव्य प्रबंधात्मक शैली में रचित हैं। इनमें कथात्मक तत्वों की प्रचुरता है। सूफी कवियों ने उदयन, विक्रम रतनसेन ऐतिहासिक एवं अर्ध- ऐतिहासिक पात्रों की गाथाएँ ली है। परंपरागत पौराणिक आख्यानों में नल-दमयंती का आख्यान सूफी कवियों को बहुत प्रिय है। ये कवि लौकिक एवं आलौकिक प्रेम-कथाओं को लेकर उनके माध्यम से जीव एवं ब्रह्म के प्रेम की रहस्यात्मक अभिव्यक्ति करते हैं।

(8) रस: रस की दृष्टि से प्रेमाख्यानों में श्रृंगार की अभिव्यक्ति सर्वाधिक है। प्रेमाख्यानों की रसाभीव्यंजना साहस एवं संघर्ष से अनुप्रमाणित हैं। रस की दृष्टि से इस काव्य की एक विशेषता यह भी है कि इसमें प्रेम को जीवन का सर्वोपरि तत्व मानते हुए भी त्याग से उदात्त प्रेम का ही प्रतिपादन है । सौंदर्य – वर्णन में नायिका के नख – शिख , हाव – भाव के अतिरिक्त उनके अन्य गुणों को भी महत्व दिया गया है ।  इन काव्यों की नायिकाएं रूपवती होने के साथ साथ बुद्धिमती भी हैं । सूफी – काव्य के नायकों की प्रेम – भावना स्थूल कामुकता से ऊपर उठकर साहस ,  शौर्य , संयम एवं त्याग से अनुप्राणित हैं , अत: इनकी श्रृंगारिक भावनाओं में उदात्तता का समावेश है । सूफी – काव्य में वीर रस भी श्रृंगार रस का सहायक बन कर ही आया है।

(9) चरित्र-चित्रण: प्रेमाख्यानों का सर्जन सूफी कवियों ने भी भारतीय परंपरा के अनुरूप ही किया है। इन काव्यों का नायक राजकुमार धैर्यशाली, साहसी,  परोपकारी, प्रेमी एवं त्यागशील होता है तथा नायिका रूपगर्विता तथा बुद्धिमती हैं। नायिका में नायक की अपेक्षा अधिक धैर्य की मात्रा पाई जाती है। इन काव्यों के नायिकाएं नृत्य-कला एवं संगीत-कला में भी निपुण हैं। नायिका के इन गुणों पर रीझकर ही  नायक उन पर सर्वस्व अर्पित करने को आतुर रहता है।  नायक-नायिका दोनों की प्रेम की कठिन साधना को प्राण देकर भी पूर्ण करना चाहते हैं। वह किसी भी परिस्थिति में प्रेम-पथ से च्युत नहीं होते।

(10) भारतीयता का समावेश: सूफी-काव्य में भारतीय दर्शन एवं इस्लाम दोनो के तत्वों का मिश्रण है नायक-नायिका भी भारतीय मान्यतानुसार उदात्त चरित्र से युक्त हैं। भारतीय रीति-रिवाजों व पतिव्रत धर्म का निर्वाह भी भारतीयता के अनुरूप ही है।

(11) सकारात्मक दृष्टिकोण: सूफी कवियों का दृष्टिकोण भारतीय निर्गुण कवियों की भांति खंडनात्मक नहीं है। उनकी भावना समन्वयमुल्क है।  प्रेमाख्यानों के माध्यम से वह विभिन्न संस्कृतियों को एकरूप कर देते हैं। हिन्दू एवं मुस्लिम धर्म की खाइयों को पाटने का भी इन्होंने सराहनीय प्रयास किया है।

(12) भाषा शैली: प्रेमाख्यानों की भाषा प्राय: अवधि व राजस्थानी है। भाषा में अरबी-फारसी के शब्दों का बाहुल्य मिलता है। इन काव्यों की शैली के संबंध में निश्चित रूप से कुछ कहना कठिन है क्योंकि जहाँ जायसी की शैली में गंभीरता एवं प्रौढ़ता है, वहीं अन्य कवियों में अपरिपक्वता एवं अशक्तता के दर्शन भी होते हैं।

निष्कर्ष

निष्कर्ष रूप से देखा जाए तो सूफी-साधक एवं कवि कोमल अनुभूतियों से परिपूर्ण थे। उनकी प्रत्येक चेष्टा समन्वयात्मक है। भारतीय दर्शन के साथ तो वह ऐसी एकरूप हो गई है, कि उसको पृथक से समझना कठिन है। ये कवि मानवतावादी हैं। प्रेम को व्यापक स्वरूप प्रदान कर इन कवियों ने त्याग की भारतीय मर्यादाओं का पालन किया है। निष्कर्षतः सूफी-काव्य प्रेम की सच्ची साधना है।


0 users like this article.

अगर आपके प्रश्नों का उत्तर यहाँ नहीं है तो आप इस बटन पर क्लिक करके अपना प्रश्न पूछ सकते हैं

Follow Hindistack.com on Google News to receive the latest news about Hindi Exam, UPSC, UGC Net Hindi, Hindi Notes and Hindi solve paper etc.

Related Articles

आदिकाल की प्रमुख परिस्थितियों पर प्...

कबीरदास की सामाजिक चेतना हिन्दी स्टैक

कबीर की सामाजिक चेतना

तुलसीदास की समन्वय भावना | ramcharitmans | Hindistack

तुलसीदास की समन्वय भावना

नागार्जुन की सामाजिक चेतना | Hindistack

नागार्जुन की सामाजिक चेतना पर प्रका...

भक्तिकाल का सामान्य परिचय देते हुए इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये। | Hindi Stack

भक्तिकाल की विशेषताओं का सामान्य पर...

रागदरबारी उपन्यास में व्यंग्य पर प्रकाश डालिए | Hindi stack

रागदरबारी उपन्यास में व्यंग्य पर प्...

No more posts to show

Popular Posts

नाटक और एकांकी में अंतर | Differences Between Natak and Ekanki

नाटक और एकांकी में अंतर | Diff...

नागार्जुन की अकाल और उसके बाद कविता की मूल संवेदना | Akal Aur Uske Baad Kavita ki Mool Samvedna Hindistack

अकाल और उसके बाद कविता की मूल ...

अकाल और उसके बाद कविता की व्याख्या | Akal Aur Uske Baad Kavita ki Vyakhya | Hindistack

अकाल और उसके बाद कविता की व्या...

गीतिकाव्य के आधार पर विद्यापति के गीतों का मूल्यांकन

गीतिकाव्य के प्रमुख तत्वों के ...

आत्मकथा की विशेषताएँ | Characteristics of Autobiography

आत्मकथा की विशेषताएँ | Charact...

आत्मनिर्भरता निबंध में 'बाल-विवाह' की समस्या

आत्मनिर्भरता निबंध में बाल-विव...

Latest Posts

1
नाटक और एकांकी में अंतर | Differences Between Natak and Ekanki
2
अकाल और उसके बाद कविता की मूल संवेदना
3
अकाल और उसके बाद कविता की व्याख्या
4
गीतिकाव्य के प्रमुख तत्वों के आधार पर विद्यापति के गीतों का मूल्यांकन
5
आत्मकथा की विशेषताएँ | Characteristics of Autobiography in Hindi
6
आत्मनिर्भरता निबंध में बाल-विवाह की समस्या

Tags

हिंदी साहित्य
Hindi sahitya
कहानी
अनुवाद
Anuvad
Anuwad
Translation
Kahani
आदिकाल
Aadikal
उपन्यास
Rimjhim Hindi book
व्याकरण
Rimjhim Hindi Pdf
Nagarjun
NCERT
भक्तिकाल
Aadhunik kaal
Class 9
रिमझिम फ्री डाउनलोड PDF