हिंदी का प्रथम कवि किसे माना जाए इस सम्बंध में हिंदी के साहित्येतिहासकारों में पर्याप्त मतभेद मिलता है। जिसके कारण अधिकांश इतिहासकारों ने अपने मत अनुसार ही किसी न किसी को हिंदी का पहला कवि स्वीकारा है। निम्न सूची में उन कवियों को लिपिबद्ध किया गया है जिन्हें हिंदी का प्रथम कवि होने का गौरव प्राप्त है और साथ ही उन इतिहासकारों का भी वर्णन है जिन्होंने इन्हें हिंदी का पहला कवि स्वीकार किया है-
इस तालिका में हिन्दी के प्रथम कवि के संबंध में विभिन्न विद्वानों के मतों का सार प्रस्तुत किया गया है। जैसा कि तालिका में देखा जा सकता है, हिन्दी के प्रथम कवि के बारे में निश्चित और सर्वमान्य मत नहीं है। विभिन्न विद्वानों ने अपने अध्ययन और दृष्टिकोण के आधार पर विभिन्न कवियों को हिन्दी का प्रथम कवि माना है। यह तालिका इस बात को स्पष्ट करती है कि हिन्दी के प्रथम कवि के विषय में एकमत नहीं है, और यह विद्वानों के भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों पर निर्भर करता है।
कवि | साहित्यकार |
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वज्रसेन सूरी (7वीं शताब्दी के आसपास) | अगरचंद नाहटा, हरिश्चंद्र वर्मा |
पुष्य या पुण्ड (7वीं शताब्दी) | शिवसिंह सेंगर, मिश्रबन्धु |
स्वयंभू (7वीं शताब्दी) | डॉ. रामकुमार वर्मा |
सरहपा (8वीं शताब्दी) | राहुल सांकृत्यायन, डॉ. नगेन्द्र, रामगोपाल वर्मा, महावीर प्रसाद द्विवेदी |
जोइन्दु, योगिंदु मुनि (8वीं शताब्दी) | डॉ. वासुदेव सिंह |
राजा मुँज (10वीं शताब्दी) | पंडित चंन्द्रधर शर्मा गुलेरी |
चंदवरदाई (10वीं शताब्दी) | आचार्य रामचंद्र शुक्ल |
अब्दुल रहमान (12वीं शताब्दी) | हजारी प्रसाद द्विवेदी |
शालिभद्र सूरी (12वीं शताब्दी) | डॉ. गणपतिचंद्र गुप, डॉ. दशरथ ओझा, डॉ. माताप्रसाद गुप्ता |
विद्यापति ( 14वीं शताब्दी ) | डॉ. बच्चन सिंह |
हिंदी का प्रथम कवि के विषय में प्रमुख विद्वानों के मत:
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शिवसिंह सेंगर और मिश्रबंधु:
इन विद्वानों ने पुष्य या पुण्ड को हिन्दी का प्रथम कवि माना है, हालांकि इनकी कोई रचना उपलब्ध नहीं है, और इनका उल्लेख मात्र मिलता है। -
डॉ. गणपति चंद्रगुप्त:
उन्होंने शालिभद्र सूरि को हिन्दी का प्रथम कवि माना है, जो भरतेश्वर बाहुबली रास के रचयिता थे। यह रचना 1184 ई. की मानी जाती है। -
राहुल सांकृत्यायन:
राहुल सांकृत्यायन ने सरहपा (सरहपाद) को हिन्दी का पहला कवि माना है। सरहपा का काव्य दोहे और पदों के रूप में है, जो हिन्दी के प्रारंभिक रूप को दर्शाता है। उन्होंने सिद्ध साहित्य की रचना की थी और उनके रचनात्मक कार्यों को भक्ति काल का प्रारंभिक बीज भी माना जाता है। -
आचार्य रामचंद्र शुक्ल:
शुक्ल जी ने हिन्दी के पहले कवि के संबंध में सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा, हालांकि उन्होंने सरहपा के योगदान को मान्यता दी, लेकिन स्पष्ट रूप से उन्हें हिन्दी का प्रथम कवि मानने से बचते रहे। शुक्ल जी ने अपभ्रंश को हिन्दी का प्रारंभिक रूप माना है और इस दृष्टि से सरहपा का महत्त्व जरूर स्वीकार किया, परंतु उन्हें हिन्दी का पहला कवि नहीं माना। -
हजारी प्रसाद द्विवेदी:
हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अब्दुर्रहमान को हिन्दी का पहला कवि माना है, जो 12वीं शताब्दी के कवि थे।
कई साहित्यकारों ने अपने अनुसार हिन्दी के प्रथम कवि के रूप में अलग-अलग कवियों का नाम लिया है। यह विवाद इसलिए भी है क्योंकि हिन्दी का प्रारंभिक रूप अपभ्रंश से विकसित हुआ था, और इस वजह से यह स्पष्ट रूप से तय करना मुश्किल है कि हिन्दी का पहला कवि कौन है ?
लेकिन अधिकांश विद्वानों द्वारा अनेक आधारों पर सिद्ध कवि सरहपा को ही हिंदी के प्रथम कवि होने का गौरव प्राप्त है। जिसके कई कारण हैं जैसे-
- सरहपा की भाषा में हिंदी का प्रारंभिक रूप मिलता है।
- चेतना और वर्ण्य-विषय की दृष्टि से भी।
- इनके काव्य से भक्ति काल का बीज अंकुर होता है।
- सरहपा ने अपने काव्य में दोहा और पदों की शैली का प्रयोग किया है।
उपर्युक्त लिखित इन तमाम कारणों के आधार पर ही आदिलाक के सिद्ध कवि सरहपा को हिंदी का पहला कवि माना गया है।
Hindi Sahitya Quiz
उत्तर: अधिकांश विद्वानों के अनुसार, सरहपा (सरहपाद) को हिन्दी का प्रथम कवि माना जाता है। वे सिद्ध साहित्य के महत्वपूर्ण कवि थे और उनकी रचनाओं में हिन्दी का प्रारंभिक रूप मिलता है।
उत्तर: सरहपा 8वीं शताब्दी के एक सिद्ध कवि थे, जिन्हें हिन्दी का पहला कवि माना जाता है। वे दोहे और पदों की शैली में लिखते थे, जो बाद में कई कवियों द्वारा अपनाई गई। उनका काव्य भक्ति और साधना से जुड़ा हुआ है और हिन्दी साहित्य के विकास में उनका महत्वपूर्ण स्थान है।
उत्तर: हिन्दी के प्रथम कवि के संबंध में विद्वानों के अलग-अलग मत इसलिए हैं क्योंकि हिन्दी का प्रारंभिक रूप अपभ्रंश से विकसित हुआ था। इसके कारण यह स्पष्ट रूप से निर्धारित करना कठिन हो गया कि हिन्दी का पहला कवि कौन था। विभिन्न विद्वानों ने अपने अनुसंधान और दृष्टिकोण के आधार पर अलग-अलग कवियों को हिन्दी का पहला कवि माना है।
उत्तर: डॉ. गणपति चंद्रगुप्त ने शालिभद्र सूरि को हिन्दी का प्रथम कवि माना है, जो भरतेश्वर बाहुबली रास के रचयिता थे। यह रचना 1184 ई. की मानी जाती है।
उत्तर: शिवसिंह सेंगर और मिश्रबंधु ने पुष्य या पुण्ड को हिन्दी का प्रथम कवि माना है। हालांकि, इनकी कोई रचना उपलब्ध नहीं है और इनका उल्लेख मात्र मिलता है।
उत्तर: हजारी प्रसाद द्विवेदी ने 12वीं शताब्दी के कवि अब्दुर्रहमान को हिन्दी का पहला कवि माना है।
उत्तर: आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिन्दी के पहले कवि के संबंध में स्पष्ट रूप से कोई राय नहीं दी। हालांकि, उन्होंने सरहपा के योगदान को स्वीकार किया, परंतु उन्हें हिन्दी का प्रथम कवि मानने से बचते रहे।
उत्तर: सरहपा का हिन्दी साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने हिन्दी के प्रारंभिक रूप में रचना की और उनके काव्य में भक्ति और साधना के भाव मिलते हैं। उनकी रचनाओं में दोहा और पदों की शैली का प्रयोग उनके समय से लेकर भक्ति काल तक हिन्दी साहित्य का आधार बना रहा।
उत्तर: सरहपा के अलावा, विभिन्न विद्वानों ने पुष्य, शालिभद्र सूरि, अब्दुर्रहमान, और गोरखनाथ जैसे कवियों को हिन्दी का पहला कवि माना है। यह विभिन्न विद्वानों के अलग-अलग दृष्टिकोण और अनुसंधान पर आधारित है।