कहानी और उपन्यास में अंतर

कहानी और उपन्यास में अन्तर | हिंदी साहित्य | हिंदी stack

कहानी और उपन्यास दोनों एक ही प्रजाति की साहित्यिक विधाएँ हैं। लेकिन स्वरूप एवं प्रकृति की दृष्टि से दोनों में जितनी समानताएँ मिलती हैं, उससे अधिक असमानताएँ भी हैं। समानता तो ये है कि दोनों गद्य के प्रकार हैं, गद्य में ही लिखे जाते हैं और इतना ही नहीं जो 6 तत्व जैसे कथानक, चरित्र चित्रण, वातावरण, सम्वाद आदि उपन्यास के माने जाते हैं वही 6 तत्व कहानी के भी माने गए हैं। साथ ही दोनों विधाएँ जीवन के यथार्थ से जुड़ी हुई हैं, जिसमें लेखक अपने अनुभवों, सम्वेदनाओं और विचारों की अभिव्यक्ति करता है, इन सभी समानताओं के आधार पर ही कुछ विद्वानों ने उपन्यास और कहानी में केवल आकार के अंतर को ही स्वीकार किया है। ‘बाबू गुलाब राय’ ने ऐसे विद्वानों पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि-

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कहानी और उपन्यास में अंतर | hindi stack

‘कहानी को लघु उपन्यास कहना वैसा ही होगा जैसे चौपाया होने की समानता के आधार पर मेंढक को छोटा बैल और बैल को बड़ा मेंढक”

‘राय’ जी के इस व्यंग्यात्मक विवेचन से अलग उपन्यास और कहानी के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु इस प्रकार हैं जो दोनों ही गद्य विधाओं में मौजूदा व्यापक अंतर को स्पष्ट करते हैं-

कहानी और उपन्यास में अन्तर

  • कहानी अकार में छोटी होती है। लेकिन उपन्यास का अकार बड़ा होता है।
  • कहानी की कथा संक्षिप्त एवं वैविध्य विहीन होती है। लेकिन उपन्यास की कथा लम्बी एवं वैविध्य पूर्ण होती है।
  • कहानी में कथानक हो भी सकता है, ओर नहीं भी। लेकिन उपन्यास में कथानक अनिवार्य रूप से रहता है।
  • कहानीकार को कहानी रचते समय अपनी दृष्टि किसी एक घटना या वस्तु पर केन्द्रित करनी पड़ती है। लेकिन उपन्यास में स्थानीय वातावरण का सृजन पात्रों के चरित्र-चित्रण और उनका चारित्रिक विकास, साथ ही उनका संघर्ष सभी कुछ उपस्थित रहता है।
  • कहानी की कथा किसी क्षण या एक स्थान से जुड़ी होती है। लेकिन उपन्यास की कथा दिनों में फैली हुई होती है और कभी-कभी तो कथा का विस्तार युग-युगों तक बढ़ जाता है।
  • कहानी में एक से अधिक कथाएँ नहीं होती, और ना ही कई प्रसंग होते हैं। यदि किसी कहानी में एक से अधिक प्रसंग होते भी हैं तो वे मुख्य प्रसंग के अभिन्न अंग के रूप में ही आते हैं। लेकिन वहीं दूसरी ओर उपन्यास में देखे तो वहाँ कथा का विकास होता है। उसमें एक से अधिक कथाएँ और अनेक प्रसंग होते हैं।
  • कहानी की गति अत्यंत तीव्र होती है। जबकि उपन्यास की गति अत्यंत धीमी।
  • कहानी में जीवन की सम्पूर्णता सम्भव नहीं है। उसमें जीवन जगत के किसी एक अंश का केवल उद्घाटन मात्र होता है। पर उपन्यास में मानव-जीवन की सम्पूर्णता को समेटने की क्षमता विद्यमान होती है।
  • कहानी के सीमित पात्र होते हैं। कहानी में चरित्र का उद्घाटन तो किया जाता है, लेकिन उपन्यास के समान चरित्र का विकास सम्भव नहीं होता।
  • कहानी में इतिवृत्तात्मकता और अतिशय कल्पना के लिए स्थान नहीं होता है, पर वहीं उपन्यास पर नज़र डालें तो वहाँ में इतिवृत्तात्मकता से किया गया विवरण पर्याप्त मात्रा में रह सकता है और साथ ही कल्पना का व्यापक प्रसार भी सम्भव है।

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उपन्यास और कहानी में अंतर बताइए – Upanyas aur Kahani mein antar

हमने उपन्यास और कहानी में अंतर (Upanyas aur Kahani mein antar) को नीचे क्रम से बताया हैं –

कहानीउपन्यास
कहानी आकार मे छोटी होती है।उपन्यास आकार मे बड़ी होती है।
कहानी के कथानक हो भी सकते है या नहीं।उपन्यास के कथानक अनिवार्य होते है।
कहानी मे जीवन के एक खंड या किसी घटना का चित्रण होता है।उपन्यास मे सम्पूर्ण जीवन का चित्रण होता है।
कहानी मे एक कथा होती है।उपन्यास मे प्रमुख कथा के साथ गौण कथाएं भी हो सकती है।
कहानी कम समय मे ज्यादा प्रभाव डालती है।उपन्यास मे प्रत्यक स्थल पर प्रभावशीलता नहीं होती है।
कहानी मे कम पात्र होते है।उपन्यास मे अधिक पात्र होते है।
कहानी को एक बैठक मे पढ़ा जा सकता है।उपन्यास को एक बैठक मे नहीं पढ़ा जा सकता है।
उदाहरण-
जय शंकर प्रसाद – नीरा, गुंडा
मुंशी प्रेमचंद – नामक का दारोगा, कफन
उदाहरण-
मुंशी प्रेमचंद – गोदान
रेणु – मैला आँचल
उपन्यास और कहानी में अंतर | Upanyas aur Kahani mein Antar

तत्वों के आधार पर कहानी और उपन्यास में अन्तर

कहानी और उपन्यास दोनों ही साहित्य की महत्वपूर्ण विधाएं हैं, लेकिन इन दोनों के स्वरूप, ढांचे और विस्तार में कई महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। ये अंतर न केवल इनकी लंबाई में होते हैं, बल्कि इनकी संरचना, कथानक की जटिलता, पात्रों की गहराई और प्रस्तुति के तरीके में भी देखे जा सकते हैं।

1. लंबाई और विस्तार

कहानी आमतौर पर संक्षिप्त होती है, जिसमें लेखक एक छोटे से कथानक को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है। यह 1000 से 5000 शब्दों के बीच हो सकती है और एक या दो प्रमुख घटनाओं पर आधारित होती है। उपन्यास एक विस्तृत और लंबी रचना होती है, जिसमें कई घटनाएं, पात्र और विचारधाराएं होती हैं। उपन्यास की लंबाई कई हज़ार शब्दों से लेकर सैकड़ों पृष्ठों तक हो सकती है। इसमें लेखक को कथानक को विस्तार से प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है, जिससे यह जटिल और विस्तृत हो सकता है।

2. कथानक की जटिलता

कहानी में कथानक साधारण और सीधा होता है, जो एक ही मुख्य घटना या विचार के इर्द-गिर्द घूमता है। इसमें शुरुआत, मध्य और अंत एक ही मुख्य घटना से जुड़े होते हैं। उपन्यास में कथानक जटिल हो सकता है। इसमें कई घटनाएं, उपकथाएं और मोड़ हो सकते हैं, जो विभिन्न पात्रों और विचारधाराओं से जुड़े होते हैं। यह एक लंबे समयावधि में घटित हो सकता है और इसमें कई सामाजिक, राजनीतिक, और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को उजागर किया जा सकता है।

3. पात्रों की गहराई

कहानी में पात्र सीमित होते हैं और उनके विकास के लिए अधिक स्थान नहीं होता। एक या दो मुख्य पात्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है और उनकी विशेषताओं को संक्षिप्त रूप में दर्शाया जाता है। उपन्यास में पात्रों की संख्या अधिक होती है और उनके व्यक्तित्व, उनकी सोच, और उनके व्यवहार को विस्तार से दिखाया जाता है। उपन्यास के पात्रों का विकास समय के साथ होता है, जिससे पाठक उनके साथ भावनात्मक रूप से जुड़ सकते हैं।

4. विषय और उद्देश्य

कहानी अक्सर किसी एक विचार, घटना या अनुभव को संक्षेप में व्यक्त करने का माध्यम होती है। इसका उद्देश्य जल्दी और प्रभावशाली तरीके से पाठक तक संदेश पहुंचाना होता है। उपन्यास का उद्देश्य अधिक व्यापक होता है। यह जीवन के विभिन्न पहलुओं, विचारों, समाज और मानव स्वभाव को विस्तृत रूप में प्रस्तुत करने का एक माध्यम हो सकता है। इसके जरिए लेखक अधिक गहरे और जटिल विषयों पर विचार करता है।

5. वाचन समय

कहानी को पढ़ने में कम समय लगता है। इसे एक ही बैठक में पढ़ा जा सकता है और पाठक इसे कुछ ही मिनटों या घंटों में समाप्त कर सकते हैं। उपन्यास पढ़ने में अधिक समय लगता है। इसे कई दिनों, हफ्तों या कभी-कभी महीनों में भी पढ़ा जा सकता है, क्योंकि इसकी संरचना और विस्तार पाठक को धीरे-धीरे कथानक में डुबोते हैं।

6. शैली और भाषा

कहानी में भाषा संक्षिप्त और सीधी होती है, क्योंकि लेखक को सीमित शब्दों में अपनी बात कहनी होती है। उपन्यास में भाषा विस्तृत और बहुस्तरीय हो सकती है। लेखक को पात्रों की भाषा, संवाद, और भावनाओं को विस्तार से दर्शाने का मौका मिलता है, जिससे भाषा भी अधिक विविध हो सकती है।

7. समाप्ति

कहानी की समाप्ति अक्सर निर्णायक होती है, जिसमें एक स्पष्ट निष्कर्ष होता है। कहानी के अंत में पाठक को स्पष्ट रूप से समझ आ जाता है कि क्या हुआ और इसका परिणाम क्या है। उपन्यास की समाप्ति में कभी-कभी अस्पष्टता या खुलापन होता है। कई उपन्यास अंत में सवाल छोड़ सकते हैं या पाठक को विचार करने के लिए खुली छूट देते हैं कि आगे क्या हो सकता है।

निष्कर्ष:

कहानी और उपन्यास दोनों साहित्य की अमूल्य विधाएं हैं, जो अपने-अपने तरीके से पाठक को आनंद, विचार और अनुभव प्रदान करती हैं। साहित्यकार डॉ. श्रीलाल मोहता जी ने इन दोनों विधाओं की तुलना करते हुए कहा है, “कहानी अगर एक गुलदस्ता है, तो उपन्यास उपवन है।” इस तुलना के माध्यम से यह समझा जा सकता है कि कहानी में जहां कुछ सीमित भावनाएं और घटनाएं केंद्रित होती हैं, वहीं उपन्यास जीवन की संपूर्णता और विविधता को अपने भीतर समाहित करता है। कहानी अपने छोटे और केंद्रित रूप में प्रभावशाली होती है, जबकि उपन्यास अपने विस्तृत और जटिल रूप में पाठक को जीवन के विभिन्न आयामों से जोड़ता है। दोनों विधाएं अपनी-अपनी सीमाओं में अद्वितीय और मूल्यवान हैं।

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17 Responses

  1. एक साइड कहानी और एक साइड उपन्यास होना चाहिए ये पैटर्न गलत हे सर

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