जब आप इन आवश्यक अनुवादक के गुणों को देखेंगे, तो आप समझ जाएंगे कि अधिकांश द्विभाषी महान अनुवादक क्यों नहीं बन पाते हैं।आरंभ करने के लिए, आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि कई लोग जो दूसरी भाषा बोलते हैं, और शायद अधिकांश लोग, अनुवाद के लिए आवश्यक भाषा कौशल और उसके गुण से काफी कम हैं। हममें से कितने लोग वास्तव में बहुत अच्छे अनुवादक हैं? हाँ, एक अच्छा अनुवादक बनने के लिए हर किसी के लिए एक महत्वपूर्ण कौशल होना आवश्यक है। आख़िरकार अनुवादकों को अच्छे शब्दों वाले पाठ तैयार करने की ज़रूरत है, जिसे पढ़ने में लोगों को आनंद आएगा-सभी प्रकार की शैलियों में। जैसे विपणन भाषण, वैधीकरण, तकनीकी सामग्री, यहां तक कि कई बार बोलचाल की भाषा भी। हममें से कितने लोगों के पास ऐसा करने का कौशल या गुण है।
इसके अलावा, पाठ के किसी भी हिस्से का अनुवाद करने में काफी जटिल मानसिक प्रक्रिया शामिल होती है। इसका मतलब यह है कि यदि आप संपूर्ण अनुवाद प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं, तो आपके अनुवादों के लगातार उत्कृष्ट होने की संभावना नहीं है। जो हमारे अंतिम आवश्यक कौशल (खैर यह वास्तव में “कौशल” नहीं है, लेकिन मुझे पता है कि आप हमें माफ कर देंगे) को पूरी तरह से सार्थक बनाता है।
गुणवत्तापूर्ण अनुवाद करने के लिए कुशल अनुवादक के गुण को समझना बेहद महत्वपूर्ण है इसके लिए हमने निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से दर्शाया है की आपको एक कुशल अनुवादक के रूप में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन बातों का नहीं:
- अनुवादक को स्रोत और लक्ष्य दोनों भाषाओं का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए।
- अनुवादक के पास अच्छे शब्दकोश होने चाहिएं। यदि प्रशासनिक/तकनीकी सामग्री का अनुवाद किया जाना है तो संबंधित विषय विशेष से संबंधित (तकनीकी एवं पारिभाषिक शब्दावली आयोग आदि द्वारा प्रकाशित) आधिकारिक शब्दावली/शब्दकोश होना चाहिए। अत: अनुवादक को उपयोगी शब्दकोशों/शब्दावलियों का संग्रह तैयार कर लेना चाहिए
- अनुवादक को शब्दकोशों से आवश्यकतानुसार सटीक शब्दों का चयन करने में आलस्य नहीं करना चाहिए।
- यदि आवश्यक हो तो अनुवाद की जाने वाली सामग्री के किन्हीं शब्दों/अभिव्यक्तियों आदि के बारे में संबंधित विषय के जानकार से चर्चा कर लेनी चाहिए।
- तकनीकी/प्रशासनिक सामग्री के अनुवाद के मामले में विषयवस्तु को संबंधित विषय विशेषज्ञ से बेहतर ज्ञान अनुवादक को नहीं हो सकता, इसलिए विषय विशेषज्ञ की विशेषज्ञता का लाभ अवश्य उठाया जाना चाहिए।
- अनुवादक में अहं या अति-आत्मविश्वास का भाव नहीं होना चाहिए। अनुवादक दो भाषाओं रूपी किनारों को जोड़ने के लिए सेतु तैयार करने वाला इंजीनियर होता है। अनुवादक की कुशलता/सफलता सेतु की मजबूती या कमजोरी पर निर्भर करती है।
- अनुवादक को बहुआयामी ज्ञान होना चाहिए। इसके लिए अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण सामग्रियों का पठन करते हुए ज्ञानार्जन करते रहना चाहिए।
- साहित्यिक कृति का अनुवाद करने वाले अनुवादक को मूल रचनाकार के निरंतर सम्पर्क में रहकर उसकी संतुष्टि के अनुसार अनुवाद करना चाहिए क्योंकि मूल भावों के धरातल का ज्ञान मूल रचनाकार से बेहतर किसी को नहीं हो सकता।
- अनुवादक को अलग-अलग विषयों/विषयवस्तुओं का अनुवाद करने वाले अन्य अनुवादकों से मित्रवत् संबंध स्थापित करने चाहिएं ताकि आवश्यकता पड़ने पर एक-दूसरे का मार्गदर्शन कर सकें।
- अनुवादक को किसी भी विषयवस्तु की सामग्री का अनुवाद प्रारंभ करने से पूर्व (1) अनुवाद सामग्री के कितने पृष्ठ/शब्द हैं (2) अनुवाद कार्य कितने दिनों/घंटों में पूरा किए जाने की अपेक्षा की गई है (3) क्या इस सामग्री का अनुवाद करने में किसी संबद्ध विषय-विशेषज्ञ और/अथवा अनुवाद-विशेषज्ञ की आवश्यकता पड़ेगी (4) विषय/विषयवस्तु से संबंधित शब्दकोश/शब्दावली उपलब्ध है अथवा नहीं (5) प्रत्येक घंटे/दिन में कितने शब्दों/पृष्ठों का अनुवाद किया जा सकता है आदि पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना तैयार कर लेनी चाहिए।
- अनुवादक को अनुवाद कार्य करते समय गौरव का अनुभव होना चाहिए कि उसे दो भाषाओं के लोगों को जोड़ने वाले सेतु का निर्माण करने का दायित्व सौंपा गया है।
- अनुवादक लक्ष्य भाषा के पाठक को ध्यान में रखकर शब्दों/भाषा का प्रयोग करता है।